
देहरादून | द भारत पल्स — उत्तराखंड में हुई शर्मनाक और चर्चा में रहे अंकिता भंडारी हत्याकांड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल प्रभाव से न्याय सुनिश्चित कर प्रदेश सरकार की संवेदनशीलता और सख्ती को प्रमाणित किया है।
यह मामला न केवल एक हत्या का था, बल्कि पूरे प्रदेश की न्याय व्यवस्था और शासन की जवाबदेही के लिए एक बड़ा परीक्षण बन गया था, जिसमें धामी सरकार ने न सिर्फ समय रहते कार्रवाई की
🔹 तेज़, पारदर्शी और जवाबदेह कार्रवाई:
घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री धामी ने निर्देशित किया कि इस मामले में किसी प्रकार की ढील नहीं बरती जाए। इसके तहत,
आरोपियों को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित कर जांच को तीव्र गति और पारदर्शिता प्रदान की गई।
आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया।
500 से अधिक पन्नों की चार्जशीट तैयार हुई, जिसमें 100 से अधिक गवाहों के बयान शामिल थे।
🔹 पीड़िता के परिवार के प्रति शासन की प्रतिबद्धता:
धामी सरकार ने न केवल क़ानूनी तौर पर दोषियों को सज़ा दिलाई, बल्कि पीड़िता के परिवार की भावनात्मक और आर्थिक जरूरतों का भी पूरा ध्यान रखा।
परिवार को ₹25 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की गई।
दिवंगत अंकिता के भाई और पिता को सरकारी नौकरी दी गई, ताकि परिवार का भविष्य सुरक्षित हो सके।
न्यायिक प्रक्रिया में पारिवारिक हितों को ध्यान में रखते हुए तीन बार सरकारी वकील बदला गया, जिससे मुकदमे की मजबूती बनी रही।
🔹 कानूनी सख्ती और फर्जीवाड़े पर सरकार की सख़्त पकड़:
सरकारी वकील की कड़ी पैरवी के चलते आरोपियों की जमानत याचिकाएँ लगातार खारिज होती रहीं।
झूठी खबरें और अफवाह फैलाने वालों को कोर्ट ने कोई संरक्षण नहीं दिया, जिससे जनता को भ्रमित होने से बचाया गया।
🗣️ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का स्पष्ट संदेश:
> “न्याय में कोई देरी नहीं, अपराधियों के लिए कोई रहम नहीं। हम प्रदेश की जनता के विश्वास पर खरा उतरेंगे और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।”
अंकिता भंडारी केस: न्याय की लड़ाई में सरकार का संकल्प
यह मामला समाज के लिए चेतावनी भी है कि अपराध चाहे कितना भी भयानक हो, लेकिन कानून की पकड़ से बाहर नहीं रह सकता। मुख्यमंत्री धामी ने इस मुद्दे को केवल एक व्यक्तिगत या कानूनी मामले के रूप में नहीं लिया, बल्कि इसे प्रदेश की जनता की सुरक्षा और न्याय के अधिकार का सवाल माना।
इस न्यायिक सफलता ने प्रदेश सरकार की संवेदनशीलता और सख़्ती की छवि को मजबूत किया है और आगे भी ऐसे मामलों में शीघ्र और निष्पक्ष कार्रवाई की उम्मीद जगाई है।